गोखरू के फायदे जानकर चौंक जाएंगे | गुर्दे की पथरी , शुक्राणु की कमी दूर करता है

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आयुर्वेद में अनेक ऐसी औषधियां वर्णित हैं जो देखने में छोटी सी होती हैं, लेकिन उनके गुण अत्यंत प्रभावशाली होते हैं। इन्हीं में से एक है गोखरू (Tribulus terrestris)। यह एक कांटेदार पौधा है, जो भारत के विभिन्न भागों में पाया जाता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे “शुक्रल”, “मूत्रल” और “वाजीकरण” गुणों के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग विशेष रूप से गुर्दे की पथरी, पेशाब की जलन, पुरुषों की यौन दुर्बलता, और शुक्राणुओं की कमी जैसी समस्याओं में किया जाता है।

तो आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर गोखरू को क्यों कहा जाता है एक प्राकृतिक वरदान

1. गुर्दे की पथरी में राहत

गोखरू का सबसे प्रसिद्ध उपयोग किडनी स्टोन यानी गुर्दे की पथरी के इलाज में होता है। यह मूत्रवर्धक (diuretic) गुणों से युक्त होता है, जो पेशाब के माध्यम से विषैले तत्वों और पथरी को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से पेशाब खुलकर आता है, जिससे छोटी पथरी धीरे-धीरे घुलने लगती है और बाहर निकल जाती है।

सेवन विधि: गोखरू का चूर्ण या काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करें। चाहें तो इसे हल्के गुनगुने पानी या गाय के दूध के साथ भी ले सकते हैं।

2. शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में सुधार

गोखरू को वाजीकरण औषधियों में गिना गया है। यह पुरुषों की यौन क्षमता को बढ़ाने में सहायक है। विशेष रूप से यह स्पर्म काउंट, मोटिलिटी (गतिशीलता) और वीर्य की गुणवत्ता को बेहतर करता है। जो पुरुष बांझपन या शुक्राणु की कमी से पीड़ित हैं, उनके लिए यह जड़ी-बूटी अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकती है।

सेवन विधि: गोखरू का पाउडर अश्वगंधा और शतावरी के साथ मिलाकर दूध में मिलाकर सेवन करना अत्यंत लाभकारी होता है।

3. पेशाब की जलन और संक्रमण में फायदेमंद

गर्मी के मौसम में या पेशाब के रास्ते में संक्रमण के कारण जलन, दर्द या बार-बार पेशाब आने जैसी समस्याएं हो जाती हैं। गोखरू एक उत्कृष्ट मूत्रल औषधि है जो पेशाब की रुकावट और जलन को दूर करता है। साथ ही, यह मूत्र मार्ग को साफ रखता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है।

4. प्रोस्टेट स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

बढ़ती उम्र में पुरुषों में प्रोस्टेट ग्लैंड से जुड़ी समस्याएं जैसे बार-बार पेशाब आना, मूत्र रुकना आदि आम हो जाती हैं। गोखरू इन लक्षणों में राहत पहुंचा सकता है और प्रोस्टेट की सूजन को कम करने में मदद करता है। यह आयुर्वेद में प्रोस्टेट टॉनिक के रूप में भी प्रयुक्त होता है।

5. शरीर की ताकत और सहनशक्ति बढ़ाता है

गोखरू शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। यह थकावट, कमजोरी और एनर्जी की कमी को दूर कर शरीर में नई ऊर्जा भरता है। यही कारण है कि इसे आयुर्वेदिक बॉडीबिल्डिंग सप्लीमेंट्स में भी शामिल किया जाता है।

6. रक्तचाप और हृदय स्वास्थ्य में मददगार

कुछ रिसर्च यह भी बताते हैं कि गोखरू ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है। यह हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है और रक्तसंचार को बेहतर बनाता है। साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित रखने में भी उपयोगी है।

कैसे करें सेवन?

गोखरू को कई रूपों में लिया जा सकता है:

  • गोखरू चूर्ण: दिन में 1 से 2 ग्राम, दूध या गर्म पानी के साथ।
  • गोखरू का काढ़ा: सूखे गोखरू को उबालकर पानी छानकर पी सकते हैं।
  • गोखरू टैबलेट या कैप्सूल: आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह अनुसार।
  • गोखरू + गिलोय + वरुण चूर्ण: यह संयोजन विशेष रूप से पथरी और मूत्र विकारों के लिए बेहद असरदार है।

सावधानियां

  • गर्भवती महिलाएं इसका सेवन न करें।
  • अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में गैस या दस्त जैसी शिकायत हो सकती है।
  • किसी भी लंबी बीमारी या एलर्जी की स्थिति में पहले वैद्य या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

निष्कर्ष

गोखरू एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली औषधि है, जो आयुर्वेद की अमूल्य देन मानी जाती है। चाहे वह गुर्दे की पथरी हो, पेशाब की परेशानी हो, या फिर पुरुषों की प्रजनन क्षमता की समस्या — गोखरू हर स्थिति में सहायक सिद्ध हो सकता है। आधुनिक जीवनशैली के दुष्प्रभावों को संतुलित करने में गोखरू एक प्रकृतिक सहारा बनकर उभरता है।

तो अगर आप प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो गोखरू को अपनी जीवनशैली में जरूर शामिल करें — लेकिन हमेशा विशेषज्ञ की सलाह के साथ।

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